शादी खुशी का मौका होता है. जब किसी गांव में डोली उठती है या बारात निकलती है तो पूरा गांव ही सज उठता है. पर एक ऐसा भी गांव है जहां 22 सालों तक किसी की बारात नहीं निकली थी.
इस गांव में कोई भी अपनी बेटी नहीं देना चाहता था. कई सालों से यही चला आ रहा था.
22 साल बाद राजस्थान के धौलपुर से 5 किलोमीटर दूर राजघाट गांव की यह परंपरा टूटी और गांव के युवक पवन की बारात धूमधाम से मध्यप्रदेश के कुसैत गांव के लिए रवाना हुई.
बताया जा रहा है कि पहले राजधाट से यदि कोई रिश्ता आता था तो तुरंत लोग इंकार कर देते थे.
वजह यह है कि यह गांव अत्यंत पिछड़ा हुआ है और यहां सभी लोग अशिक्षित हैं. मूलभूत सुविधाओं के लिए भी लोग तरस रहे हैं. गांव में एक हैंडपंप है उससे भी खारा पानी ही पीने को मिलता है.
यहां के निवासी अत्यंत गरीब हैं और सरकार से भी उन्हें कोई खास लाभ नहीं मिला है. गांव में पानी, बिजली और सड़क के नाम पर सुविधाएं नहीं है. इसी वजह से ज्यादातर लोग इस गांव में अपनी बेटी का ब्याह नहीं करना चाहते हैं.
अब इस गांव में 22 साल बाद कोई बारात निकली है, इसलिए ग्रामीणों की खुशी ठिकाना नहीं है. गरीब होने के कारण दूल्हे की घोड़ी से बारात नहीं निकल पाई है.
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