लखनऊ। महाराष्ट्र समेत देश के 18 राज्यों में प्लास्टिक बैन होने के बाद अब यूपी सरकार ने भी इस दिशा में कदम उठाते हुए पूरे राज्य में प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा आज यानी शुक्रवार को कर दी है।
सरकार ने प्रदेश में 15 जुलाई से प्लास्टिक बैन का आदेश जारी कर दिया है। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पॉलिसी को यूपी कैबिनेट पहले ही मंजूरी दे चुकी है। यूपी प्लास्टिक बैन करने वाला देश का 19वां राज्य बन गया है।
आपको बता दें यह पहला मौका नहीं है जब यूपी में प्लास्टिक को प्रतिबंधित किया जा रहा है, 2015 से से लेकर अब तक तीन बार यूपी में प्लास्टिक बैन को लेकर घोषणा हो चुकी है। लेकिन इसके बाद भी प्रदेश में लोग बेखौफ प्लास्टिक का उपयोग करते रहे हैं।
योगी सरकार ने 50 माइक्रॉन से पतली पॉलिथिन को सूबे में इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। पिछले दिनों सीएम की अध्यक्षता में बैठक हुई थी, जिसमें पॉलिथिन के बैन लगाने के साथ-साथ इस नियम का उल्लंघन पर 50 हजार रुपये तक का जुर्मना लगाए जाने की बात हुई थी।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने ट्वीट करके लिखा है कि 15 जुलाई से प्लास्टिक के कप, ग्लास और पॉलिथीन का इस्तेमाल किसी भी स्तर पर न हो। इसमें आप सभी की सहभागिता जरूरी होगी।
मुख्यमंत्री योगी राज ने पॉलिथिन पर प्रतिबंध तो सभी जगह होना चाहिए। फिलहाल इसकी शुरुआत शहरी निकायों से होगी।
प्लास्टिक उत्पादों को लेकर तय किये गए मानक
- सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पॉलिसी के तहत 50 माइक्रॉन से पतली पॉलिथिन का इस्तेमाल पूरी तरह प्रतिबंधित होगा।
- आदेश का उल्लंघन करने वाले पर 50 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
- इसके अलावा सरकार ने प्लास्टिक बनाने, प्रयोग करने, बेचने और ट्रांसपोर्ट, वितरण, थोक और खुदरा बिक्री तथा स्टोर करने पर पूर तरह रोक लगा दी है।
अखिलेश सरकार में लगा था प्रतिबंध
दिसंबर 2015 में अखिलेश सरकार ने सूबे में पॉलिथिन के कैरीबैग्स पर प्रतिबंध लगाया था। इसके लिए सरकार ने इन्वाइरनमेंट प्रटेक्शन ऐक्ट को भी मंजूरी दी थी। ऐक्ट में व्यवस्था थी कि अगर कोई प्रतिबंधित पॉलिथिन का इस्तेमाल करता पाया जाएगा तो उसे छह महीने की सजा और पांच लाख रुपये तक जुर्माना भुगतना पड़ सकता था। अधिनियम को पर्यावरण विभाग ने बनाया था और इसे लागू करने की जिम्मेदारी संयुक्त रूप से नगर निगम, जिला प्रशासन, प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को दी गई थी। हालांकि ऐक्ट में प्रतिबंधित पॉलिथिन की मोटाई 20 माइक्रॉन या उससे कम रखी गई थी, जबकि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रतिबंधित पॉलिथिन की मोटाई 50 माइक्रॉन या उससे कम तय की है। हालांकि इस विरोधाभास और एक्ट के क्रियान्वयन के लिए एक एजेंसी न होने के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका था।