दिलीप जायसवाल
अंबिकापुर. धंधापुर में महान नदी पर बने पुल के बह जाने के दो साल बाद भी नए पुल के लिए केवल कागजी कार्रवाई ही चल रही है. ऐसे में इस साल भी बरसात के मौसम में स्कूली बच्चों को जान जोखिम में डालकर लकड़ी नाव से नदी पार करना पड़ेगा. वहीं नदी के दूसरी तरफ स्थित धंधापुर पंचायत के लोधीडाड मुहल्ले के लोगां को अपने ग्राम पंचायत मुख्यालय में आने के लिए बीस किलोमीटर घूमकर आना पड़ेगा. हद तो यह है कि पीडीएस राशन के लिए भी इसी तरह परेशान होना पड़ता है. इसी नदी पर प्रतापपुर मुख्य मार्ग के खडगवां मेंं भी पुल बह गया था लेकिन वहां नदी पर रपटा पुल बना है वहां भी अधिक बारिश होने के कारण आवागमन बंद हो जाता है.
आपको बता दें कि राजपुर इलाके के धंधापुर पंचायत के बीच से होकर महान नदी गुजरती है. यहां 2008 में एक करोड की लागत से पुल का निर्माण किया गया था लेकिन 2016 में तेज बारिश के कारण पुल बह गया. इसके बाद अधिकारियों के द्वारा पुल निर्माण का भरोसा दिया गया था लेकिन इसे दो साल हो जाने के बाद भी अब तक निर्माण की दिशा में धरातल पर कोई काम होता नहीं दिख रहा है. गर्मी के दिनों में नदी में ही कच्चा रास्ता बनाकर लोग किसी तरह आवाजाही कर लेते हैं लेकिन बरसात में यह मार्ग पूरी तरह बंद हो जाता है. जबकि यह मार्ग अंबिकापुर से सीधे प्रतापपुर को जोड़ता है. इसके बीच में बीस से अधिक ग्राम पंचायत आपस में जुड़ते हैं.ऐसे में इन पंचायतों के लोगों को अंबिकापुर आने-जाने में परेशानी होती है. यह परेशानी तब और बढ़ जाती है जब खडगंवा स्थित महान नदी में बने रपटा पुल के उपर से पानी पार होने लगता है.
सबसे अधिक परेशानी धंधापुर ग्राम पंचायत के लोधीडाड मुहल्ले के लोगों को होती है. लोधीडाड के बच्चों को पढऩे के लिए धंधापुर आना पड़ता है और इसके बीच में यह नदी है जहां पुल बह गया है. ऐसे में बच्चों को नदी पार करने के लिए लकड़ी के नाव का सहारा लेना पडता है. कई बार नदी में बाढ़ आने के कारण नाव भी काम नहीं करता और बच्चे स्कूल नहीं जा पाते. बता दें कि मीडिल, हाई और हायर सकेडरी स्कूल के अलावा निजी स्कूलों में पढने वाले छोटे बच्चों को भी नाव से पार होना पड़ता है. ठीक इसी तरह पीडीएस का चावल और सोसायटी से खेती के लिए खाद बीज लेने के बाद नाव में लेकर जाना पड़ता है.
इन गांवो के लोगों की बढ जाती है परेशानी
सबसे अधिक परेशानी धंधापुर, रेवतपुर, परसवारकला, दुप्पी, चौरा, मरकाडांड के लोगों को होती है. इन गांव के लोगों को संभाग मुख्यालय तक पहुंचने के लिए तीस किलोमीटर की अधिक दूरी तय करना पड़ता है.
बता दें कि इन पंचायतों का जिला बलरामपुर होने के बाद भी इनके लिए संभाग मुख्यालय अंबिकापुर ही नजदीक है. ऐसे में ये रोजमर्रा के कामकाज के लिए अंबिकापुर ही जाना पसंद करते हैं.
बीस पंचायतों को जोडऩे वाले मार्ग को टायरिंग करने की मांग
अंबिकापुर से चिखलाडीह और फिर रूखपुर, अखोरा, बदौली, कुंदीकला, शिवपुर, धंधापुर होते हुए चौरा, दुप्पी, करसी, सिलफिली, टुकूडांड, शांतिनगर के बाद प्रतापपुर तक पूरे रोड की टायरिंग करने की मांग इन पंचायतों के लोगों के द्वारा की जाती रही है, लेकिन इस पर भी अब तक ध्यान नहीं दिया जा रहा है. जबकि बीच बीच में प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत टायरिंग किया गया है.
वर्जन
अधिकारियों से महान नदी पर पुल निर्माण के लिए मांग किया गया और मुख्यमंत्री को भी इस समस्या से अवगत करवाया गया है. यह सही है कि बच्चों को स्कूल जाने में और कई पंचायतों के लोगों की परेशानी बढ जाती है. अधिकारियों को प्राथमिकता में लेकर काम करना चाहिए. यहां की समस्या जानने खुद भी जा चुका हूं.
डा प्रीतम राम, विधायक, सामरी क्षेत्र
महान नदी में पुल के बह जाने से बहुत परेशानी हो रही है. बच्चों की जान को हमेशा खतरा रहता है, अगर नाव पलट गयी तो बडा हादसा हो सकता है. सरकार को तत्काल यहां पुल निर्माण के लिए कार्रवाई कर काम शुरू करवाना चाहिए. पुल के टूटने से हमारे गांव का विकास प्रभावित हुआ है.
हदय लाल, सरपंच, धंधापुर