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तीन तलाक के बाद ‘निकाह हलाला’ और ‘बहुविवाह’ केंद्र सरकार के निशाने पर, उठाएगी ये कदम

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तीन तलाक के बाद 'निकाह हलाला' और 'बहुविवाह' केंद्र सरकार के निशाने पर, उठाएगी ये कदम

नई दिल्ली। ट्रिपल तलाक को अपराध की श्रेणी में लाने के बाद केंद्र सरकार की नजर अब ‘निकाह हलाला’ और ‘बहुविवाह’ को असंवैधानिक ठहराने की है। मोदी सरकार मुस्लिम महिलाओं के हित में एक और फैसला लेने जा रही है। कानून मंत्रालय के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में ‘निकाह हलाला’ की प्रथा का विरोध करेगी।

जब मामला सुप्रीम कोर्ट में आएगा तो केंद्र सरकार याचिकाकर्ताओं को अपना समर्थन देगी। इस साल की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने इन मामलों से जुड़ी याचिकाओं को सुनने के लिए अपनी सहमति दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने ही तीन तलाक को असंवैधानिक ठहराया था।

इसी साल मार्च के महीने में सुप्रीम कोर्ट मुस्लिम समुदाय में प्रचलित ‘बहुविवाह’ और ‘निकाह हलाला’ की संवैधानिक वैधता की जांच करने के लिए सहमत हो गया था। शीर्ष अदालत की जिस 5 सदस्यीय पीठ ने तीन तलाक की सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुनाया था, वही पीठ ‘बहुविवाह’ और ‘निकाह हलाला’ को भी देखेगी।

यह है ‘निकाह हलाला’ प्रथा

‘निकाह हलाला’, मुसलमानों में वह प्रथा है जो समुदाय के किसी व्यक्ति को अपनी तलाकशुदा पत्नी से फिर से शादी करने की इजाजत देता है। ‘निकाह हलाला’ के तहत एक व्यक्ति अपनी पूर्व पत्नी से तब तक दोबारा शादी नहीं कर सकता … जब तक उसकी तलाकशुदा पत्नी किसी दूसरे पुरुष से शादी करके उसके साथ शारीरिक संबंध नही बना लेती। इसके बाद वह तलाक लेती है ताकि वह अपने पहले पति से पुनर्विवाह कर सके। महिला कार्यकर्ताओं ने इस प्रथा की निंदा की है और इसे महिला विरोधी बताया है और इसे प्रतिबंधित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।

इस मामले पर दायर याचिकाओं को सुनने के लिए तैयार सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और कानून मंत्रालय को नोटिस जारी किया था। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से इस मामले पर रुख स्पष्ट करने को कहा था। याचिका में मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरियत) ऐप्लिकेशन एक्ट 1937 की धारा-2 को असंवैधानिक करने को कहा गया है, क्योंकि इसके तहत बहुविवाह और हलाला को मान्यता दी जाती है।

बता दें इसके पहलने शीर्ष न्यायालय ने पिछले साल तीन तलाक की प्रथा को असंवैधानिक घोषित कर दिया था। सरकार तीन तलाक को एक दंडनीय अपराध बनाने के लिए बाद में एक विधेयक लेकर आई। लोकसभा ने यह विधेयक पारित कर दिया और अब यह राज्यसभा में लंबित है। यह तीन तलाक को अवैध बनाता है और पति के लिए तीन साल तक की कैद की सजा का प्रावधान करता है। मसौदा कानून के तहत तीन तलाक किसी भी रूप में (मौखिक, लिखित या ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सऐप सहित इलेक्ट्रानिक तरीके से) अवैध और अमान्य होगा।