अहमदाबाद : 2015 के पाटीदार ओबीसी कोटा आंदोलन में हार्दिक पटेल के खिलाफ लगाए गए राजद्रोह के मामले में अहमदाबाद सेशन कोर्ट ने आज आरोप तय किए. हार्दिक पटेल के साथ ही उनके दो सहयोगियों दिनेश बंबानिया और चिराग पटेल नाम भी इस मामले में शामिल किया गया था.
अहमदाबाद अपराध शाखा द्वारा दायर 18 पेज की चार्जशीट पढ़ने के बाद अदालत ने धारा 124 (ए) (राजद्रोह) और 120 (बी) (आपराधिक साजिश) के तहत आरोप तय किए हैं. तीनों पर आरक्षण की मांग स्वीकार करने के लिए सरकार पर दबाव डालने के मकसद से हिंसा भड़काने का भी आरोप लगाया गया है.
तीनों ने खुद को दोषी नहीं माना था और अभी जमानत पर बाहर हैं.
कोर्ट से बाहर निकलने के बाद हार्दिक पटेल ने कहा कि मुझ पर राजद्रोह, सरकार के खिलाफ युद्ध, लोगों को उत्तेजित करने के आरोप ऐसे लगाए गए हैं कि मैं बीजेपी के खिलाफ लड़ाई करने को तैयार बैठा हूं. और खुलेआम हथियार लेकर घूम रहा हूं. लेकिन मुझे न्यायपालिका पर भरोसा है. मैं लड़ूंगा और अगर जरुरत पड़ी तो हाईकोर्ट जाउंगा.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक हार्दिक ने यह भी कहा कि ‘उन्हें अहमदाबाद क्राइम ब्रांच पर कोई भरोसा नहीं है. उनके ही आरोपपत्र के आधार पर आज के आरोप तय किए गए हैं. हार्दिक पटेल ने कहा कि क्राइम ब्रांच के प्रमुख जेके भट्ट पर खुद भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. इसके पहले अभय चुदासमा और डीजी वंजारा के खिलाफ भी केस हुए हैं. फिर इस क्राइम ब्रांच पर किसी को भरोसा कैसे हो सकता है. क्राइम ब्रांच का कहना है कि पटेल लोगों को आरक्षण मिलना संभव नहीं है फिर भी मैंने आंदोलन किया. मैं पूछना चाहता हूं कि आखिर क्यों संभव नहीं है? क्राइम ब्रांच को लोगों को गुमराह नहीं करना चाहिए.’
पटेल पर राजद्रोह के दो मामले दर्ज हैं:
क्राइम ब्रांच के प्रमुख भट्ट पर पोंजी स्किम में 2 करोड़ रुपए रिश्वत लेने के आरोप लगे हैं. वहीं सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में चुदासमा और वंजारा शामिल थे. हार्दिक इन्हीं आरोपों की बात कर रहे थे.
तीनों के खिलाफ कोर्ट द्वारा आरोप तय करने के पहले अहमदाबाद पुलिस ने बंबानिया को गिरफ्तार कर लिया. बंबानिया पर कोर्ट के सामने उपस्थित नहीं होने की वजह से उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था.
हार्दिक पटेल पर राजद्रोह के दो मामले दर्ज हैं. इस मामले में उन पर अपनी गिरफ्तारी और 25 अगस्त को रिहा होने के बाद युवाओं को सार्वजनिक संपत्ति बर्बाद करने, तोड़फोड़ करने के लिए भड़काने के आरोप हैं. अगले दो दिनों तक हिंसक विरोध जारी रहा, जिसमें 13 युवा मारे गए और राज्य भर में 44 करोड़ रुपए की सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान हुआ था.
उनके खिलाफ राजद्रोह का दूसरा मामला सूरत में दर्ज किया गया है. अक्टूबर 2015 में हार्दिक पटेल को 9 महीने के लिए जेल भेजा गया था और उसके बाद अदालत ने 6 महीने के लिए उन्हें राज्य से निर्वासित कर दिया था.