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बस्तर के बाद दुर्ग भी पहुंचा मानसून, कई शहरों में बारिश, जानिए पिछले साल कब एंट्री हुई थी

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बस्तर के बाद दुर्ग भी पहुंचा मानसून, कई शहरों में बारिश, जानिए पिछले साल कब एंट्री हुई थी

रायपुर। छत्तीसगढ़ में मानसून की एंट्री हो गई है। हालांकि इस बार 6 दिनों की देरी मानसून पहुंचा है। बस्तर होते हुए मानसून एक ही दिन में राजधानी से 40 किलोमीटर दूर दुर्ग तक पहुंच गया है। राजधानी में शुक्रवार को मानसूनी बारिश हो सकती है, जबकि बस्तर व दुर्ग संभाग में गुरुवार को ही जोरदार मानसूनी बारिश हुई।

रायपुर, बिलासपुर व सरगुजा संभाग के कई स्थानों पर कहीं तेज तो कहीं हल्की बारिश हुई। पिछले साल 11 जून को मानसून छत्तीसगढ़ एंट्री करने के साथ 24 घंटों के भीतर पूरे प्रदेश में छा गया था। उस दौरान राज्यभर में मानसूनी बारिश हुई थी। मौसम विभाग के अनुसार आज भी प्रदेश के एक-दो स्थानों पर भारी व अनेक स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है।

बस्तर में मानसून पहुंचने की निर्धारित तारीख 10 जून है, लेकिन इस साल 6 दिनों बाद 16 जून गुरुवार को पहुंचा। हालांकि एक दिन में बस्तर व दुर्ग संभाग को मानसूनी बारिश ने कवर कर लिया। राजधानी मंे दिन में कई बार बादल छाए, लेकिन बारिश नहीं हुई। मौसम विभाग के अनुसार रात में बारिश होने पर रायपुर में भी मानसून पहुंचने की घोषणा कर दी जाएगी। आसमान में बादल दिख रहे हैं, जिनसे बारिश हो सकती है। दक्षिण-पश्चिम मानसून के पहुंचने का इंतजार सभी को था। पिछले कुछ दिनों से लोग भीषण गर्मी व उमस से हलाकान थे। मानसूनी बारिश से तापमान तो गिरेगा ही उमस भी कम होगी।

मौसम विज्ञानी बीके चिंदालोरे के अनुसार मानसून की घोषणा करने के लिए तीन-चार मापदंड जरूरी है। पहला यह कि क्षेत्र के 60 फीसदी से अधिक मौसम केंद्रों में 2 दिनों के दौरान 2.5 मिमी या इससे ज्यादा बारिश लगातार हुई हो। दूसरा पश्चिमी हवा की गहराई कम से कम 3 किलोमीटर क्षेत्र तक विस्तारित हो। तीसरा यह कि क्षेत्र में लगातार बादल छाए हों। चौथा क्षेत्र की हवा में नमी की मात्रा अधिक ऊंचाई तक बढ़ी हुई हो। ऐसी परिस्थितियों में सामान्य तौर पर मानसून घोषित किया जाता है।

बारिश होते ही खेती के कामों में आएगी तेजी

कई जिलों में मानसून की दस्तक के बाद खेती से जुड़े कामांे मंे तेजी आएगी। खेतों की तैयारी तो पहले से कर ली गई है। अब धान की बोआई मंे तेजी आएगी। जिन खेतों में रोपाई पद्धति से धान की फसल ली जाएगी, उसके लिए नर्सरी डाली जाएगी। बालोद समेत धमतरी व दूसरे जिलों मंे जहां बोर से पानी की सुविधा है, वहां के किसान पहले ही धान की नर्सरी डाल चुके हैं।