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नासा ने मंगल ग्रह पर भेजा इनसाइट,सफल हुआ प्रयोग तो इंसान भी जा सकेंगे

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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का नवीनतम खोजी उपग्रह ‘इनसाइट’ मंगल ग्रह के अपने अभियान पर रवाना हो चुका है। लाल ग्रह पर उतरने के लिए इस उपग्रह को भेजने की प्रक्रिया नासा ने शुक्रवार को शुरू की थी।

इस उपग्रह को मंगल की सतह पर उतरने और उस पर आने वाले भूकंप की रिकॉर्डिंग के लिए डिजाइन किया गया है।

बहुप्रतीक्षित परियोजना
‘इनसाइट’ यान कैलिफोर्निया के वांडेनबर्ग वायुसैन्य अड्डे से पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक, प्रशांत क्षेत्र के समयानुसार शुक्रवार सुबह चार बज कर पांच मिनट (भारतीय समयानुसार 4:35 बजे अपराह्न) पर एटलस वी. रॉकेट से लांच किया जाना था।

वैज्ञानिक चिंतित थे कि अगर लांच किए जाने से पहले आसमान में धुंध हुई प्रक्षेपण में तकनीकी स्तर पर समस्याएं हो सकती हैं। नासा के सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि दृश्यता में बाधा खत्म हो गई इसलिए लांच की प्रक्रिया शुरू की गई।
मकसद जानकारी जुटाना
इस महत्वाकांक्षी परियोजना का मकसद मंगल ग्रह के जमीनी हालात का पता लगाना है। इससे मिली जानकारियां भविष्य में वहां मानवयुक्त अंतरिक्ष यान को भेजने में मददगार हो सकती हैं। इससे यह पता लगाने में भी मदद मिलेगी कि अरबों साल पहले कैसे वह धरती की तरह चट्टानी ग्रह में तब्दील हुआ।

नासा के अधिकारियों ने कहा, योजना के मुताबिक सब कुछ ठीक रहा तो ‘इनसाइट’ मंगल ग्रह पर 26 नवंबर तक कामकाज करना शुरू कर देगा।

इनसाइट का पूरा नाम
इस खोजी यान का पूरा नाम ‘इंटिरियर एक्सप्लोरेशन यूजिंग सिस्मिक इन्वेस्टिगेशंस, जियोडेसी एंड हीट ट्रांसपोर्ट’ है।

मंगल पर काम
नासा के प्रधान वैज्ञानिक जिम ग्रीन ने कहा, विशेषज्ञों को पहले से पता है कि मंगल पर भूकंप, भूस्खलन और उल्कापात होते हैं। लेकिन हमें इस ग्रह के लिए संभावित मानव अभियानों के लिए यह जानना जरूरी है कि मंगल भूकंप के लिहाज से कितना संवेदनशील है।

इनसाइट मंगल ग्रह पर जाकर इस सवाल का जवाब खोजेगा। इसकी सतह पर एक भूकंपमापी लगा है।

मंगल पर पहुंचने के बाद उपग्रह की एक रोबोटिक बांह इसमें लगे भूकंपमापी को सतह पर स्थापित करेगी। इसके बाद उपग्रह मंगल की सतह पर 10 से 16 फीट गहरी खुदाई कर एक स्वचालित जांच करेगा, जिससे ग्रह की सतह पर उष्मा के प्रवाह की जानकारी हो सकेगी।

यह अभी तक के मंगल अभियानों के तहत इस ग्रह की सतह पर की गई खुदाई से 15 गुना अधिक होगा।

मंगल मिशन
99.3 करोड़ डॉलर की है ‘इनसाइट’ उपग्रह की यह परियोजना
26 नवंबर तक मंगल पर पहुंच कर काम शुरू करने की उम्मीद
26 माह या मंगल के एक वर्ष तक कार्य करने में सक्षम है यह यान
100 भूकंपों को दर्ज कर सकेगा यह मंगल पर रहने के दौरान
20 डिग्री सेल्सियस रहता है तापमान मंगल का गर्मियों के दिनों में
73 डिग्री सेल्सियस हो जाता है यह उन्हीं दिनों रात के दौरान
2016 में लांच किया जाना था पहले, पर इसके भूकंपमापी में समस्या का पता चलने पर समय बढ़ाना पड़ा
2012 में भेजे गए क्यूरिओसिटी रोवर के बाद मंगल ग्रह पर जाने वाला नासा का दूसरा यान होगा ‘इनसाइट’
2030 तक मंगल ग्रह पर मानवयुक्त अभियान भेजने की योजना है अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी की।

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