Home राज्य छत्तीसगढ़ Navratri 2018: नवरात्रि से भक्तिमय हुए लोग,जगह-जगह विराजी माँ दुर्गा

Navratri 2018: नवरात्रि से भक्तिमय हुए लोग,जगह-जगह विराजी माँ दुर्गा

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अब सेट की परीक्षा 28 अक्टूबर को

रवि भूतड़ा
बालोद। शारदीय नवरात्रि आज 10 अक्टूबर से शुरू हो गया हैं। आज से नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्‍वरूपों की पूजा की जाएगी। नगर सहित ग्रामीण अंचलों में माँ दुर्गा की प्रतिमा को भक्त सुबह से ही अपने-अपने सुविधाओं से वाहनों में ले जाते नज़र आए। भक्तों में माता के प्रति आस्था उत्साह इतना हैं कि माँ दुर्गा की प्रतिमा को ले जाते वक्त वाहनों में माता के जयकारे व ढ़ोल नगाड़ों की थाप सुनने मिल रही हैं। जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण अंचलों में आज बड़े ही धूमधाम से माँ दुर्गा की प्रतिमा को विराजित किया जाएगा। ग्रामीण अंचलों में स्थापित माँ शीतला के मंदिरों में ज्योतिकलश की स्थापना की जाएगी।


मां दुर्गा का जन्‍म –

हिंदू धर्म में मां दुर्गा की आराधना का पर्व प्रत्यके वर्ष बहुत उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष 10 अक्टूबर दिन बुधवार से शारदीय नवरात्र शुरू हो गई है। शारदीय नवरात्र के नौ दिन मां के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। लेकिन ज्यादातर लोग यह नहीं जानते कि मां दुर्गा के की उत्पत्ति होने के पीछे क्या है कहानी। दरअसल, हमारे पुराणों में आपको इसका उल्‍लेख मिल जाएगा, जिसमें मां दुर्गा की उत्‍पत्‍ति के बारे में लिखा गया है। एक कथा के अनुसार, दैत्यराज के अत्याचारों से तंग आकर सभी देवता ब्रह्मा जी के पास पहुंचे।

तब ब्रह्मा जी ने उन्हें बताया कि दैत्यराज का अंत किसी कुंवारी कन्या के हाथों से ही संभव है। तब सभी देवों ने मिलकर अपने-अपने सम्मिलित ओज और तेज से देवी के विभिन्न अंगों की रचना की। भोलेशंकर के तेज से मां दुर्गा का मुख, यमराज के तेज से केश, भगवान विष्णु के तेज से दोनों भुजाएं, चंद्रमा के तेज से वक्ष, इंद्र के तेज से कमर, वरुण के तेज से जांघें, पृथ्वी के तेज से कूल्हे, ब्रह्मा के तेज से पांव , सूर्य के तेज से उंगलियां, प्रजापति के तेज से दांत, अग्नि के तेज से आंख, संध्या के तेज से भौंहे, वायु के तेज से कर्ण एवं अन्य देवताओं के तेज से विभिन्न अंगों का निर्माण हुआ।

इन देवी देवताओं ने दिए अपने प्रतीक और अस्त्र-

इसके बाद अग्नि ने मां दुर्गा को शक्ति एवं बाणों से भरा तरकश, महेश ने त्रिशूल, लक्ष्मी ने कमल, भगवान विष्णु ने चक्र, प्रजापति ने मणियों की माला एवं अन्य देवताओं ने अपने अपने प्रतीक और अस्त्र दिये। इसके अलावा मां दुर्गा की अट्ठारह भुजाओं में विभिन्न देवी देवताओं ने अपने आभूषण भेंट किये। इन सभी प्रतीकों और अस्त्रों से पूर्ण हो जाने के बाद मां दुर्गा को आदिशक्ति माना जाने लगा। कहा जाता है कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने मां दुर्गा की ही शक्ति से सृष्टि का निर्माण किया और अन्य देवताओं ने भी मां दुर्गा की ही शक्ति लेकर जनमानस का कल्याण किया।