रायपुर। झीरम हत्याकांड को लेकर गठित SIT तो गठित हो गई है, लेकिन उसकी जाँच की राह फ़िलहाल रुक गई है। इसकी वजह है NIA का एक्ट नंबर 7। दरअसल यह एक्ट की धारा कुछ ऐसी जटिल है कि SIT जाँच करे कैसे इसे लेकर ही सवाल खड़ा हो गया है।
हालाँकि कल देर शाम DGP DM अवस्थी ने विशेष जाँच दल की बैठक लेकर अंतत: राह निकालने की कवायद की है। दरअसल एक बडी समस्या यह है कि NIA से डायरी लेना मसला नही है क्योंकि वह डायरी न्यायालय में मौजुद है, मसला है NIA से वह पत्र हासिल करना जिसमें कि यह लिखा हो
“NIA ने जाँच कर ली है, राज्य चाहे तो जाँच करे”
पूरी कवायद इस पत्र को हासिल करने की है, और देश की सर्वोच्च जाँच ऐजेंसी से यह पत्र हासिल करना इतना भी सरल नही है। NIA एक्ट 7 इस काम में रोड़ा बन गया है, हालाँकि डीजीपी दुर्गेश माधव अवस्थी ने बीते कल जो मार्गदर्शन दिए हैं, उसके बाद शायद एक्ट की 7 की रुकावट दूर हो जाए।यह मामला अगर कठिन नही है तो तय मानिए कि आसान भी नही है।
SIT ने NIA की चालान और बाक़ी दस्तावेज हासिल कर लिए हैं, लेकिन वह पत्र ही नही मिल पा रहा है जो SIT को जाँच कर के अदालत में चालान या कि विवेचना रिपोर्ट प्रस्तुत करने का अधिकार दे दे।
DGP दुर्गेश माधव अवस्थी ने कहा
“कुछ तकनीकि अड़चनें हैं, पर वो ऐसी नही है कि उसका निदान ना हो, हम जल्द ही वे अड़चनें दूर कर लेंगे”
झीरम हत्याकांड की रिपोर्ट दरभा थाने में दर्ज हुई थी और NIA ने उसी एफआईआर पर जाँच की थी। ख़बरें है कि SIT भी उसी FIR पर काम करेगी।