सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल में नमाज पढ़ने पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने कहा कि ताजमहल दुनिया के सातवें अजूबों में से एक है। इसलिए यह ध्यान रखना होगा कि ताजमहल के परिसर में नमाज पढ़ने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यहां कई और जगहें हैं जहां नमाज पढ़ी जा सकती है फिर ताजमहल परिसर ही क्यों?
बता दें कि ताजमहल में नमाज पढ़े जाने को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति ने अक्टूबर 2017 में ताजमहल में होने वाली नमाज पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी।
इस समीति की मांग थी कि ताजमहल एक राष्ट्रीय धरोहर है, तो क्यों मुसलमानों को इसे धार्मिक स्थल के रूप में इस्तेमाल करने की इजाजत दी गई है। अगर परिसर में नमाज पढ़ने की इजाजत है तो हिंदुओं को भी शिव चालीसा का पाठ करने दिया जाए।
दुनिया का सातवां अजूबा में नाम दर्ज ताजमहल शुक्रवार को जुमे की नमाज के लिए बंद रहता है जिसका विरोध लंबे समय से किया जाता रहा है। यही नहीं समाज के एक धड़ा यह दावा करता रहा है कि ताजमहल शिव मंदिर पर बना है जिसे एक हिंदू राजा ने बनवाया था। इसलिए अगर वहां शुक्रवार को नमाज पढ़ी जाएगी तो हिंदू वहां शिवचालीसा भी पढ़ेंगे।
हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने ताजमहल के परिसर में शिव चालीसा पढ़ने की कोशिश की थी और सीआईएसएफ के जवानों ने उन्हें रोक दिया था।