ऊना कांड के पीडि़त परिवार के सदस्य घटनास्थल पर भगवान बुद्ध के मंदिर का निर्माण कराएंगे। बता दें कि एक दिन पहले ही परिवार के 45 सदस्यों ने बौद्ध धर्म अपनाया था जिसके बाद सोमवार को उन्होंने घटनास्थल पर भगवान बुद्ध के मंदिर निर्माण के लिए अभियान चलाने की बात कही।
दरअसल, लगभग दो साल पहले ऊना में गोरक्षकों के हाथों दलितों को पीटने की घटना सामने आई थी। इसके पीडि़तों ने भी हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाने का फैसला लिया था। इस घटना से दलित समुदाय में अब भी रोष है। धर्म परिवर्तन के बाद दलित परिवारों ने कहा कि हिंदू धर्म में हमें सम्मान नहीं मिला और हिंदुओं ने हमें नहीं अपनाया इसलिए हमने बौद्ध धर्म अपनाया है।
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दरअसल, लगभग दो साल पहले ऊना के सरवइया परिवार के चार बेटों को गोरक्षकों ने बेरहमी से पीटा था। इसके पीडि़तों ने भी हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाने का फैसला लिया था। इस घटना से दलित समुदाय में अब भी रोष है।
रविवार को गिर सोमनाथ जिले के ऊना तालुक में एक कार्यक्रम के दौरान परिवार के सदस्यों ने बौद्ध धर्म अपनाया था। रविवार को ऊना में बड़ी संख्या में दलित परिवार इक_ा हुए और पूरे रीति रिवाज से बौद्ध धर्म अपना लिया।
ऊना कांड के पीडि़त रमेश और वशराम के पिता बालू सरवइया ने कहा कि वह पूरे गुजरात भर में अत्याचार के पीडि़तों से मंदिर की ईंटों को इक_ा करने के लिए मदद मांगेंगे ताकि लोग इसके इतिहास के बारे में जान सकें। उन्होंने कहा कि बुद्ध मंदिर के निर्माण में समय लग सकता है क्योंकि उनके पास महत्वपूर्ण पूंजी नहीं है और उन्हें समुदाय के सदस्यों से दान की आवश्यकता होगी।
जुलाई 2016 में वशराम और रमेश के साथ अशोक और बेचर को गोरक्षकों ने बेरहमी से पीटा था। घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था और गुजरात में दलित आंदोलन को जन्म दिया था।