धनेश्वर साहू
जैजैपुर. सरकार योजनाएं तो कई बनाती है पर जमीनी हकीकत में उन योजनाओं का लाभ उस तबके तक नहीं पहुंच पाता, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है. ऐसी ही एक योजना है प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना, जिसमें गरीबों को सर की छत मिलने का आश्वासन दिया गया था. लेकिन जिन लोगों को सिर छुपाने के लिए एक अदद मकान की जरूरत है, वही इस योजना से महरूम हैं.
ताजा मामला जैजैपुर के ग्राम पंचायत ओडेकेरा के आश्रित ग्राम हरिनाचकर से सामने आ रहा है. जहां वृद्ध महिला भूरीबाई स्वयं का मकान न होने की वजह से पिछले 10 वर्षों से शासकीय मंगल भवन में रहने को मजबूर है. उसने इस भवन को ही अपना आशियाना बना लिया है. जब उसे प्रधानमंत्री आवास योजना की जानकारी मिली तो उसने भी आवेदन दिया पर सरकारी काम-काज की समझ न होने की वजह से वह अभी तक अपने हक से वंचित है.
जब इस बारे में सीजी आज डॉॅट कॉम की टीम ने सरपंच संतोष चौहान से बात की तो उन्होंने बताया कि भूरीबाई का नाम हितग्राहियों की सूची में नहीं जोड़ा गया था, जिसके कारण उन्हें लाभ नहीं मिल सका है. जैसे ही उन्हें जानकारी मिली है, उन्होंने सूची में नाम जोडऩे की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
सवाल यह उठता है कि इन 10 सालों में किसी भी जनप्रतिनिधि या अधिकारी की नजर मसले पर क्यों नहीं पड़ी? अनपढ़ और जानकारी के अभाव में कितने ही ऐसे ग्रामीण होंगे, जिन्हें आवास की सबसे ज्यादा जरूरत है पर उन्हें सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है?