जितेन्द्र पाठक
लोरमी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन के तहत लोगों को खुले में शौच मुक्त कराने के लिए गांव-गांव में शौचालय का निर्माण किया जा रहा है लेकिन जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधि इस मिशन की धज्जियां उड़ा रहे हैं. कई अधिकारी जिनके कार्यक्षेत्र में कई शौचालयों का काम अधूरा पड़ा हुआ है, बावजूद इसके वे अपने क्षेत्र को ओडीएफ घोषित कर रहे हैं.
यही नहीं शौचालय निर्माण के लिए गुणवत्ताविहीन मटेरियल्स का भी उपयोग किया जा रहा है. हम बात कर रहे है मुंगेली जिले के लोरमी विकासखण्ड की जहाँ के ग्राम पंचायत महामाई में कार्यक्रम आयोजित कर कैबिनेट मंत्री अजय चंद्राकर से मुंगेली जिले को ओडीएफ घोषित कराया गया था लेकिन उसी गांव में शौचालय का निर्माण अधूरा पड़ा है.
आपको बता दें कि अधिकारियों ने लोरमी विकासखंड के ग्राम पंचायत महामाई में एक कार्यक्रम आयोजित किया था, जिसमें कैबिनेट मंत्री अजय चंद्राकर द्वारा मुंगेली जिले को ओडीएफ घोषित कराया गया. ओडीएफ घोषित करने के समय अजय चंद्राकर ने जिले के अधिकारियों सहित नेताओ की तारीफों के पुल बांधे थे. पर सच्चाई इसके विपरीत है.
पायनियर की टीम ने जब इस विषय को लेकर खोजबीन की तो पता चला कि कई स्थानों पर शौचालय निर्माण की बात कही गयी लेकिन शौचालय बनाया ही नहीं गया. वहीं जहां शौचालय बने वहां इतनी घटिया निर्माण सामग्री इस्तेमाल की गयी कि कुछ ही दिनों में शौचालयों ने खंडहर का रूप ले लिया.
जब टीम डगनिया पहुंची तेा बैगा परिवारों ने बताया कि उन्हें अब तक शौचालय बनाने के लिए मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया है. इस मसले को लेकर कई शिकायतें की गयी लेकिन जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति हुई. वहीं इस पूरे मामले में जनपद सीईओ उमाशंकर वंदे कार्यवाही करने और अधूरे शौचालय को जल्द पुरा कराने का आश्वासन देते नजर आये.
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पूर्व ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष सागर सिंह ने इस मामले प्रशासन पर जमकर निशाना साधते हुए कहा कि पंचायत मंत्री को धोखे में रखकर ओडीएफ घोषित करा दिया गया. लोरमी जनपद पंचायत की अध्यक्षा वर्षा विक्रम सिंह जिन्हें लोरमी के ओडीएफ होने पर सम्मानित किया गया था उन्होंने कहा कि आपके माध्यम से जानकारी मिली है जल्द ही शिकायतों का निराकरण किया जाएगा.