रवि भूतड़ा/बालोद। महिला एवं बच्चों संबंधित अपराधों की गंभीरता व संवेदनशीलता को देखते हुए थाना कोतवाली बालोद में महिला डेस्क एवं चाइल्ड फ्रेंडली रूम खोला गया। पुलिस अधीक्षक एमएल कोटवानी ने फीता काटकर इसका उद्धघाटन किया गया। साथ ही पुलिस थाना परिसर में पौधारोपण भी किया गया।
यह एक ऐसा समय था, जब पूरे दुर्ग रेंज से बालोद थाने में ऐसी शुरुआत की गई हैं। इसके लिए जिला पुलिस अधीक्षक ने बालोद थाना प्रभारी व प्रशिक्षु डीएसपी अमर सिदार सहित पूरी टीम को बधाई दी। पुलिस अधीक्षक एमएल कोटवानी द्वारा उद्घाटन के मौके पर छोटे बच्चे भी मौजूद रहे। छोटे बच्चों के साथ उन्होंने इस कमरे का उद्घाटन किया और कमरे में बच्चों को कैरम खेलने के लिए प्रेरित किया।
साथ ही बच्चों का हालचाल भी जाना। महिला डेस्क एवं चाइल्ड फ्रेंडली रूम के उद्घाटन के दौरान एसपी एमएल कोटवानी, डीएसपी डॉ.अनुराग झा, प्रशिक्षु डीएसपी व बालोद थाना प्रभारी अमर सिदार, पद्मश्री शमसाद बेगम, बाल सरंक्षण अधिकारी गजानंद साहू सहित महिला बाल विकास विभाग की महिला कर्मचारी, बालोद थाना के सभी स्टॉफ मौजूद रहे।
क्या है इस चाइल्ड फ्रेंडली रूम में
दुर्ग रेंज के पहले निर्मित महिला डेस्क और चाइल्ड फ्रेंडली रूम में काफी कुछ एक घर जैसा माहौल है। इसे गुलाबी रंग में रंग रोगन किया गया है और यहां बैठने के लिए फर्नीचर भी लगाए गए हैं। खेलने के लिए कैरम की व्यवस्था की गई है और तो और गुलाबों की सुगंध भी भरी गई है। साथ ही बच्चों को प्रेरित करने वाले आलेख भी रखे गए हैं ताकि कोई बालिका यदि इस तरह की किसी परेशानियों से गुजर कर आए तो वह अपनी बात खुलकर रख पाए।
अपराध को कम करने का तरीका
जिला पुलिस अधीक्षक एमएल कोटवानी ने ब्ळंर.बवउ को बताया कि डीजीपी छत्तीसगढ़ शासन की सोच है कि यहां सामुदायिक पुलिसिंग और महिला संबंधित अपराधों को लेकर पुलिस और प्रार्थी का संबंध ऐसा हो कि एक प्रार्थी अपनी समस्या खुलकर बता पाए। इसी के तहत हम सब पूर्णता प्रयास कर रहे हैं की प्रार्थी आए तो अपनी बात खुलकर रख पाए। यह हमारे लिए बेहद आवश्यक है। यह पहल काफी अच्छा है और इससे बालिकाओं और महिलाओं को अपनी बात रखने में काफी आसानी होगी।
बालोद थाना प्रभारी अमर सिदार ने बताया कि जब वह यहां थाना प्रभारी बनकर आए तो उन्होंने देखा कि हमारी महिला अधिकारियों एवं आरक्षक द्वारा जब महिलाओं से पूछताछ एवं उनकी समस्याओं को सुना जाता है तो वह काफी खुद को असहज महसूस करती हैं।
इसके लिए उन्हें थाने से बाहर एकांत में जाना पड़ता है तो यह सब बातें हमें खटक रही थी। तो हमने ऐसी सोच लगाई, जिससे महिलाओं बालिकाओं को अपनी बात रख पाने में काफी आसानी हो और हमने जिला पुलिस अधीक्षक महोदय को इसकी जानकारी दी और उन्होंने ऐसा करने में हमारा सहयोग किया और आज हम अपनी सोच पर खरा उतर पाए हैं।